Maharishi Bhrigu was born 38 lakh BC in Brahmaloka Susha Nagar. His great-grandfather’s name was Marichi Rishi. Grandfather’s name was Kashyap Rishi, grandmother’s name was Aditi. His father Pracheta-the creator who after becoming the king of Brahmaloka was called Prajapita Brahma. He was the eldest son of his parents Aditi-Kashyap. Maharishi Bhriguji’s mother’s name was Veerani Devi. These were two siblings from their parents. Your elder brother’s name was Angira Rishi. Whose son was born to Brihaspatiji, who is known as the priest-devguru of the gods. The astrology book ‘Bhrigu Samhita’ composed by Maharishi Bhrigu is a Sanskrit text of astrology. Its author is Maharishi Bhrigu, one of the seven sages of the Vedic period.
Bhrigu Samhita is in the form of a conversation between Maharishi Bhrigu and Shukra. His language-style is like the dialogue between Lord Krishna and Arjuna in the Gita. Every time Venus ask the same question..
“भवेदेताद्वशीपत्री यज्जीवस्य महामते।
किं फलं जायते तस्य विपाको दृष्टि गोचर: ॥”
महर्षि भृगु जी का परिचय
महर्षि भृगु का जन्म 38 लाख ईसा पूर्व ब्रह्मलोक सुषा नगर में हुआ था। इनके परदादा का नाम मरीचि ऋषि था। दादाजी का नाम कश्यप ऋषि, दादी का नाम अदिति था। इनके पिता प्रचेता-विधाता जो ब्रह्मलोक के राजा बनने के बाद प्रजापिता ब्रह्मा कहलाये। अपने माता-पिता अदिति-कश्यप के ज्येष्ठ पुत्र थे। महर्षि भृगुजी की माता का नाम वीरणी देवी था। ये अपने माता-पिता से सहोदर दो भाई थे। आपके बड़े भाई का नाम अंगिरा ऋषि था। जिनके पुत्र बृहस्पतिजी हुए जो देवगणों के पुरोहित-देवगुरू के रूप में जाने जाते हैं। महर्षि भृगु द्वारा रचित ज्योतिष ग्रंथ ‘भृगु संहिता’ ज्योतिष का एक संस्कृत ग्रन्थ है। इसके रचयिता महर्षि भृगु हैं जो वैदिक काल के सात ऋषियों में से एक हैं।
भृगु संहिता महर्षि भृगु और शुक्र के बीच संपन्न हुए वार्तालाप के रूप में है। उसकी भाषा-शैली गीता में भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के मध्य हुए संवाद जैसी है। हर बार शुक्र एक ही सवाल पूछते हैं ..
“भवेदेताद्वशीपत्री यज्जीवस्य महामते।
किं फलं जायते तस्य विपाको दृष्टि गोचर: ॥”