The Bhrigusamhita is an extraordinary book and has extensive use of strange code words. It is originally in the form of a shloka in Sanskrit. The Bhrigusamhita gives an equally authentic account of the trikaal i.e. past, future and present. The Bhrigusamhita is in the form of a conversation between Maharishi Bhrigu and Shukra. His language style is similar to the dialogue between Lord Krishna and Arjuna in the Gita. Every time Venus asks the same question-
वदनाथ दयासिंधो जन्मलग्नशुभाशुभम् ।
येन विज्ञान मात्रेण विपाको दृष्टिगोचर: ।।
In Bhrigu Samhita, the word ‘Tapodhan, Kave, Taat etc.’ has come very often and the meaning or use of this Sanskrit word is used in the context of Venus. Maharishi Bhrigu seemed clear past and future. It also has a description of the previous birth. At many places, Venus asks Maharishi Bhrigu-
भवेदेताद्वशी पत्री यज्जीवस्य महामते ।
किं फलं जायते तस्य विस्तारेण वद प्रभो ।।
भृगुसंहिता शास्त्र का परिचय
भृगुसंहिता एक असाधारण ग्रंथ है और इसमें विचित्र कूट शब्दावली का व्यापक प्रयोग है। यह मूलतः संस्कृत में श्लोक के रूप में है। भृगुसंहिता त्रिकाल अर्थात् भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों का समान रूप से प्रामाणिक ब्योरा देती है। भृगुसंहिता महर्षि भृगु और शुक्र के बीच संपन्न हुए वार्तालाप के रूप में है। उसकी भाषा शैली गीता में भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के मध्य हुए संवाद जैसी है। हर बार शुक्र एक ही सवाल पूछते हैं-
वदनाथ दयासिंधो जन्मलग्नशुभाशुभम् ।
येन विज्ञान मात्रेण विपाको दृष्टिगोचर: ।।
भृगु संहिता में तपोधन, कवे, तात आदि सम्बोधन शब्द बहुत बार आया है और संस्कृत के इस शब्द का अर्थ या प्रयोग शुक्र जी के संदर्भ में किया जाता है। महर्षि भृगु को भूत और भविष्य स्पष्ट दिखाई देता था। इसमें पूर्वजन्म का विवरण भी है। अनेक जगह पर शुक्र महर्षि भृगु से पूछते हैं-
भवेदेताद्वशी पत्री यज्जीवस्य महामते ।
किं फलं जायते तस्य विस्तारेण वद प्रभो ।।