By meditating, worshiping, eulogizing Maharishi Bhriguji and by reciting and listening to the verses, the sins of man after birth are destroyed and the mode of happiness is attained. Apart from this, physical, mental, financial obstacles are destroyed. By remembering Maharishi Bhriguji, one benefits from the special grace of Shri Hari Vishnu. Benefit of the compassion of Tridev (Brahma, Vishnu, Mahesh). There is victory in all actions. Health, longevity is beneficial..
महर्षि भृगुजी का ध्यान, पूजन, स्तवन करने से और श्लोकों का पाठ एवं श्रवण करने मात्र से ही मनुष्य के जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं और सुख मोद की प्राप्ति होती है। इसके अतिरिक्त शारीरिक, मानसिक, आर्थिक बाधाएं नष्ट होती हैं। महर्षि भृगुजी का स्मरण करने से श्री हरि विष्णु जी की विशेष कृपा का लाभ होता है। त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) की अनुकम्पा का लाभ होता है। समस्त कर्मों में विजय प्राप्त होती है। आरोग्यता, दीर्घायु का लाभ होता है ..
स्वान्तोद्भूत सुतं विधेश्च निपुणं वेदादि वेदाङ्गके।
धाम्नारूढ़ परान्तकाल विपुलं चाष्टाङ्ग योगासनम्।।१।।
लब्धा शक्ति महत्व सिद्धिरखिला चाज्ञान ध्वान्तापहम्।
लब्धाजीर्ण सुरत्व दिव्यवपुषं स्वर्लोकदिव्यासनम्।।२।।
तेज: पुञ्जमयोनभोग शयजै: साकं सदा पर्यटन।
ध्रौव्या लोकपरिक्रमत्सित यशाविख्यात लोकत्रये।।३।।
शान्तिं ज्ञातु मनाभिषेण पितरं गत्वा महेशाश्रमम्।
दृष्ट्वा क्रोधवशा उभौ मुनिवरो यातो हरेरन्तिकम्।।४।।
निद्रालुञ्च विलोक्य शेषशयने पद्मान्ध्रिमुन्मर्दिता।
तूर्णं सौम्य हनत्तदीय हृदये पादेन रुष्टा रमा।।५।।
पद्मावीक्ष्य तिरस्कृतां निजपतौ शापं ददौ तत्क्षणे।
दारिद्रयं ध्रुवमेतु ब्राह्मण कुलं मद्दर्शनं नो लभेत्।।६।।
निद्रा त्यक्त हरिर्ददौ वरमिमं शापो द्विजे नश्यतु।
लक्ष्मी शाप निवारणाय रचिता श्रीभार्गवी संहिता।।७।।
एवं य: सततं मुनिं भृगुवरं तन्निर्मितां संहिताम्।
ध्यायेद्भक्तियुतस्तदा सलभतेस्वाभीष्टसिद्धिध्रुवम्।।८।।
ऊं अखण्ड मंडलाकारं व्याप्तं येन चराचरम्।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरुवे नम:।।
भृगवे नम: महर्षये नम:।।